A REVIEW OF SHIV CHAISA

A Review Of Shiv chaisa

A Review Of Shiv chaisa

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वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥

O Lord! I beseech Your support and seel your divine blessing at this extremely instant. Conserve and secure me. Destroy my enemies using your Trishul. Release me within the torture of evil ideas.

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सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ ।

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

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दानिन Shiv chaisa महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए, शनि के प्रकोप से बचने हेतु हनुमान चालीसा का पाठ करें

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥

स्वामी एक है आस Shiv chaisa तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥

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